Thursday, January 05, 2006

चुनौती

चुनौती
एक शब्द मात्र .
पर है महासमर में अर्जुन की प्रज्ञा.
उसकी प्रेरणा.
कर्म भी.
कर्म करो हे अर्जुन .
पर कर्म बिना प्रज्ञा के बिना दिशा के ? क्या है संभव?
कर्म के लिए चाहिए चुनौती, प्रेरणा भी.
चुनौती अर्जुन की, प्रेरणा कृष्ण की.
अर्जुन.
महानिश्नात योद्धा.
चुनौती पैदा करने हेतु अर्जुन जैसा महा-निष्णात योद्धा
होना महा-नितांत आवश्यक है.
और कृष्ण. सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड.
प्रेरणा देने हेतु सर्वज्ञ महा-योगी होना आवश्यक है.
चुनौती तो मेरे सामने है जिंदगी के महासमर में.
और कृष्ण. यानी प्रेरणा.
तो मेरी प्रेरणा कहा है?
तो हे कृष्ण! तुम कहाँ हो?
कृपया प्रकट होओ .

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