Friday, October 26, 2007

जिजीविषा !

युद्ध,
एक विभीषिका
एक जीतता है
तो एक हारता भी है
डार्विन का वाद भी तो सत्य ही है
तो विजय प्रबल शक्तिमान योग्य कि होती है
जीना है अगर तो
शक्तिमान बनना होगा - प्रबल
तो
जीना शक्तिमान बनना
एक सिक्के के दो पहलू हैं
शाश्वत सत्य भी
तो
हे प्राणी
तू युद्ध कर
और जी
क्योंकि यह तेरा शाश्वत अधिकार है

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