सुभाष
सुभाष,
एक नेता जी
एक ज्योति पुंज
और अन्याय का प्रतिकारी
क्रांति का उद्घोषक
कि उठो हे मेरे देश
उठो और अन्धकार कि तिमिर छाया को
उतार फेंको
कहते हैं कि जब सर्वत्र अन्धकार व्याप्त होता है
तो एक ज्योति पुंज आता है
और जरूर आता है
और अन्धकार में डूबे हुए को बताता है
उसका पाठ
नैराश्य में आकंठ दूभे हुए ह्रदय में
समो देता है आशा कि एक किरण
वह था सुभाष
लहू की दो बूंदों का भिखारी
आजादी का महादानी
जिसके आह्वान पर
दे देती थी माताएं अपना सुहाग चिह्न भी
ऐसा था वह नेताजी
एक ज्योति पुंज
क्रांति का उद्घोषक
अन्याय का प्रतिकारी
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home