Saturday, October 27, 2007

देवता

जब जब धर्मं की हानि होती है
तब धर्मं की रक्षा के लिए में जरूर आता हूँ
और जरूर आता हूँ
कृष्ण ने कहा था
और यह काल चक्र है भी
एक सुनिश्चित तथ्य
धर्मं जो धारणीय है
से अलावा जो भी है
अधर्म है
वेड में कहा है
अन्याय को सहना
प्रतिकार करना
नियति मान लेना
अधर्म है
गीता में कहा है
कृष्ण तोड़ते हैं नियति की इस तदर्थता को
गांधी रुप में
प्रतिकार करते हैं अधर्म अन्याय का
अहिंसा से
सम्पूर्ण मानवीय ह्रदय परिवर्तन
दो हाड-मांस के पुतलो के रुप में
ह्रदय परिवर्तन का
पैदा करते हैं
महा-आश्चर्य
गांधी


तो
कालचक्र है कि
अपने को दोहराता है जरूर
जब-जब धर्मं की हानि होती है
हर युग में
एक देवता आता है जरूर
आता है जरूर
धर्मं संस्थापनार्थाय सम्भावामि युगे युगे

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